एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग शायद हर घर में होता ही आया है, और सस्ते होने के कारण कई घरों में एल्यूमीनियम के कढ़ाई, कुकर, भगोनी भी इस्तेमाल किया जाता है, एक तरह से देखा जाए तो कोई भी किचन एल्यूमीनियम के बर्तनों के बिना अधूरा सा लगता है, क्योंकि इसे काफी लंबे समय से खाने बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है, और सिर्फ भारत में ही नहीं लगभग हर देश में, क्योंकि ये अच्छे से और जल्दी गरम होकर तेज़ी से खाना बनाने में हमारी मदद करता है, लेकिन क्या ये खाना बनाने के लिए और हमारी सेहत के लिए उतना ही अच्छे साबित हो सकते है.
एल्युमीनियम अगर शरीर में ज्यादा हो जाए तो ये नुकसानदेह मेटल साबित हो सकता है ऐसे में ये अच्छा है या नहीं है इसे लेकर अधिकतर डिबेट होती रहती है, शायद आपको ये पता ना हो, लेकिन नॉन-स्टिक कुकवेयर भी एल्युमीनियम के बर्तनों से ही बनते हैं जिनमें नॉन स्टिक कोटिंग की जाती है, एल्युमीनियम के बर्तन में पकाया गया खाना एल्युमीनियम को सोख लेता है.
जिसे खाने से एल्युमीनियम शरीर के अलग-अलग अंगों में जमा हो जाता है. एल्युमीनियम के बर्तन में पके खाने को खाने से हाइपर-एसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, अपच, पेट फूलना, त्वचा की समस्याएं आदि हो सकता है, इसलिए खाना बनाने के लिए एल्युमीनियम के बर्तनों का ना के बराबर ही इस्तेमाल करें, इसके जगह आप स्टील, पीतल, लोहे या मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करे जैसे पुराने जमाने से होता है, इसमें खाना बहुत ही पौष्टिक बनता है.
एल्युमीनियम के बर्तनों के साथ समस्या क्या है?
एल्युमीनियम के बर्तन एसिडिक फूड्स के साथ रिएक्ट करते हैं और ये मेटल के कण खाने में मिल जाते हैं, इसलिए एल्युमीनियम की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है, हालांकि, कई रिसर्च इस विषय में की गई हैं और वो कहती हैं कि ये कण आसानी से ह्यूमन वेस्ट के तौर पर पेट के जरिए निकल जाते हैं,इसीलिए एल्युमीनियम फॉइल का भी इस्तेमाल होता है, हालांकि कुछ मेडिकल कंडीशन वाले लोगों के लिए ये नुकसानदेह साबित हो सकता है.
2. क्या नहीं पकाना चाहिए एल्युमीनियम के बर्तनों में
जिस तरह से लोहे और पीतल के बर्तन में कुछ ऐसी चीजें होती है जो नहीं पकानी चाहिए, जैसे दूध की रेसिपीज, ऐसे ही एल्युमीनियम के बर्तनों में भी कुछ चीजों को नहीं पकाना चाहिए.
* टमाटर की ग्रेवी या सॉस
ऐसा इसलिए क्योंकि टमाटर एसिडिक प्रकृति का होता है और अगर एल्युमीनियम में इसे ज्यादा देर पकाया जाए तो इसके स्वाद पर असर होता है, साथ ही एसिडिक होने के कारण ये एल्युमीनियम से रिएक्ट करता है.
2. सिरके के जुड़ी डिशेज
सिरका भी एल्युमीनियम से बहुत ज्यादा रिएक्ट करता है, सिरका और उससे जुड़ी डिशेज एल्युमीनियम में रखना सही नहीं माना जाता है, इसलिए अचार भी एल्युमीनियम में नहीं बल्कि कांच के या चीनी मिट्टी के बर्तनों में रखा जाता है.
3. सिट्रस फूड्स
अगर आपको लेमन कर्ड या लेमन राइज बनाना है तो बेहतर होगा कि आप एल्युमीनियम में ना बनाएं, सिट्रस फूड्स हमेशा परेशान कर सकते हैं, यहां भी कारण वही है कि सिट्रस फूड्स एसिडिक होते हैं और ये एल्युमीनियम के साथ रिएक्ट कर सकते हैं.
हालांकि, इसके असर को लेकर कई रिपोर्ट्स कहती हैं कि ये बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं होता है, लेकिन फिर भी इसे अच्छा नहीं माना जाता है, ये सारी चीज़ें ध्यान रखें और अपने एल्युमीनियम के बर्तनों को एसिडिक फूड्स से दूर रखें, बाकी तरह का खाना इसमें बनाना इतना नुकसानदायक नहीं होता है, अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें, ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हमारे पेज इंडिया का तड़का से.
कौन सा बर्तन है सबसे अच्छा – स्टील , लोहा, पीतल और कांसा
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